मानदेय नहीं मिलने से अतिथि शिक्षक भूखों मरने की कगार पर जिलाध्यक्ष रविशंकर दहायत

(सतना से सुनील कुमार दाहिया)
उन्होंने बताया है कि प्रदेश भर के शासकीय विद्यालयों में अतिथि शिक्षक विगत 15 वर्षों से पूर्ण निष्ठा लगन एवं ईमानदारी से सेवा देते आ रहे हैं और बेहतर परीक्षा परिणाम भी दिला रहे हैं किंतु उन अतिथि शिक्षकों का भविष्य आज भी अंधकार में है एवं मानदेय 6 महीने बीत जाने के बाद आज तक मार्च-अप्रैल 2023 का मानदेय प्राप्त नहीं हुआ है कई बार डीपीआई में बात करने के बाद बजट का ना होना बताया जा रहा है जिसके कारण अतिथि शिक्षकों का परिवार भूखों मरने की कगार पर खड़ा है यहां तक की कुछ मजदूरी करके, तेंदूपत्ता तोड़कर ,परिवार का पालन पोषण करने के लिए मजबूर हैं लोक शिक्षण संचनालय भोपाल से निर्देश दिए जाते हैं कि अतिथि शिक्षकों का समय पर भुगतान किया जाना चाहिए मगर जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के कारण समय पर मानदेय का भुगतान नहीं हो पाता है अति शिक्षक वैसे भी इतने अल्प मानदेय में सेवा देते हैं एवं अप्रैल के बाद उन्हें 2 महीने के लिए बाहर भी कर दिया जाता है जो गर्मियों में बेरोजगार रहते हैं एक और सरकार भी इनकी नियमितीकरण के लिए गंभीर नहीं है जबकि मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है इन्होंने अपने जीवन के 15 साल सरकार और बच्चों के लिए दिए हैं जो काफी अनुभव रखते हैं आजाद स्कूल अतिथि शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष रविशंकर दहायत ने बताया है कि सरकार एक तरफ मुफ्त में बांट रही है वहीं दूसरी तरफ मेहनत करने वाले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाले राष्ट्र के निर्माता कहे जाने वाले अतिथि शिक्षकों का लंबित वेतन भुगतान 6 महीने बीत जाने के बाद भी नहीं हुआ है जिसे जल्द करें एवं अन्य राज्यों की तरह नीति बनाकर 12 माह का सेवाकाल एवं 62 वर्ष तक कार्य करने की तथा संतोषजनक वेतन चुनाव के पहले कार्य योजना तैयार की जाए एवं अतिथि शिक्षक हित को ध्यान में रखते हुए जल्द ठोस निर्णय लिया जाए यदि ऐसा नहीं किया जाता है तो 2018 की तरह पूरे प्रदेश भर के अतिथि शिक्षक एकजुट होकर 2023 में सरकार की ईट से ईट बजाने का काम करेंगे ।
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