रेस्क्यू किए गए मादा चीतल की मौत: 2 दिन पहले शावक ने भी दम तोड़ा, वन विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

इंडिया न्यूज़ दर्पण/अनिल दवन्डे बैतूल
रेस्क्यू किए गए एक चीतल की सारणी में मौत हो गई है। चीतल के शावक की भी शाक लगने के बाद मौत हो चुकी है। यह मादा चीतल पिछले एक पखवाड़े से सारनी के रिहायशी इलाकों में विचरण कर रही थी। जिसे कुत्तों ने घायल कर दिया था। इसकी मौत ने यहां कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
गुरुवार 17 अगस्त की रात वन्य प्राणी संरक्षक आदिल खान को सूचना प्राप्त हुई थी कि मादा चीतल सारणी की ट्रिपल स्टोरी के पास घायल अवस्था में घूम रही है। जिसके बाद आदिल ने इसकी जानकारी प्रभारी रेंजर एस नायक को दी। 15 मिनट बाद वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, और आदिल के साथ मिलकर रेस्क्यू की तैयारी में जुट गई। वन विभाग के बाकी सभी कर्मचारियों और जाल की व्यवस्था करने में एक घंटा और बीत गया। जिसके बाद अंधेरा हो गया।
आदिल ने बताया कि इस संबंध में उनके के माध्यम से रेंजर व एसडीओ को बार बार सूचना दी गई, परंतु वे घटना स्थल पर नहीं पहुंचे। रात के अंधेरे में वन विभाग के कर्मचारियों और चौकीदारों के साथ मिलकर बड़ी मुश्किल से मादा चीतल का रेस्क्यू किया गया। जिसके बाद पशु चिकित्सा विभाग को सूचना दी गई।
घायल मादा चीतल को वन विश्राम गृह ले जाया गया। जहां पर सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी रुपेश उबनारे के माध्यम से मादा चीतल का इलाज किया है। आदिल ने बताया कि मादा चीतल के जख्म पुराने थे। जिस वजह से उनमें से बदबू आ रही थी और जख्म में कीड़े भी पड़ गए थे।
इधर, आज इस मादा चीतल की मौत हो गई है। सारनी एसडीओ फॉरेस्ट अजय बहाने ने बताया कि मादा चीतल घायल हो गई थी। इसे रात में रेस्क्यू किया था। जिसने दम तोड़ दिया है। उसे पीएम के लिए बैतूल भेजा है। जिसके बाद सारणी में अंतिम संस्कार किया जायगा।
*मर चुका है शावक भी*
9 अगस्त बुधवार को सारनी में एक हिरण के बच्चे का रेस्क्यू किया था। जिसे जागरूक लोगों ने नाली से निकाल कर वाइल्ड लाइफ एंड नेचर कंजर्वेशन एक्टिविस्ट आदिल खान के पास पहुंचाया था। जिसके बाद आदिल ने वन विभाग को सूचना दी और बच्चा वन विभाग के सुपुर्द कर दिया था।
उसी दिन सूचना मिली थी की मादा हिरण को कुत्तों ने घायल कर दिया है और वह सारनी शहर के नालों में भटक रही हैं । जिसके बाद वन विभाग के साथ मिलकर आदिल ने भी मादा चीतल की तलाश की परंतु वह नहीं मिली। बताया जा रहा है की दो दिन पहले इस शावक ने भी दम तोड़ दिया। उसे 7 दिनों से सारणी में ही रखा गया था। एसडीओ ने बताया कि शावक स्वस्थ था। आशंका है कि उसकी शाक के कारण मौत हुई है।
सुविधाओं का अभाव फिर भी वन्य प्राणियों को रखते हैं पास मादा चीतल और उसके शावक की मौत के मामले में आदिल ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य प्राणी असीम श्रीवास्तव से शिकायत की है। आदिल का कहना है कि क्योंकि सारनी में सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इसलिए चीतल के बच्चे को अगले दिन ही वन विहार राष्ट्रीय उद्यान भोपाल पहुंचा देना चाहिए था। परंतु, स्थानीय वन विभाग ने बच्चे को अपने पास ही रखा। इतने दिनों तक उसे यहां सुविधाओं के अभाव में रखना समझ से परे है। चीतल के बच्चे की मृत्यु कहीं ना कहीं है वन विभाग की लापरवाही से हुई है ।
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