बैतूलमध्य प्रदेश

स्कूल चले हम”अभियान की उड़ रही धज्जियां,

अनिल दवन्डे बैतूल

एक ओर सरकार,, शिक्षा के नाम पर अरबों रुपया व्यय कर रही है, उद्देश सिर्फ इतना है कि, शिक्षा का स्तर सुधर सके? और बच्चे स्कूल जाकर उन्नत शिक्षा हासिल करें ??और आगे बढ़े?? हर बच्चा शिक्षित होकर देश का भविष्य बने ? स्कूल जाने बच्चों को प्रेरित करने, सरकार कई योजनाएं भी संचालित कर रही है,जिसमे , मध्यान भोजन, निशुल्क किताब वितरण,, गणवेश वितरण, थोड़ी दूरी पर जाने के लिए साइकल, स्कॉलरशिप योजना, स्कूलों के नाम बदलकर ,सीएम राइस, पी.एम. श्री, आदि नाम बदलकर, शालाओं का स्तर सुधारा जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी शिक्षा का स्तर सुधरता दिखाई नहीं दे रहा है ?कई जगहों पर बच्चे बदहाल और गंदगी सहित, भारी असुविधाओं में, पढ़ने को मजबूर है? ऐसा ही एक उदाहरण, विकासखंड के ग्राम पंचायत उभारिया में देखने को मिला है? यहां सन 1980 के दशक का स्कूल ,स्वयं अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है?? स्कूल इतना बदहाल है कि, बच्चे उस में बैठ कर पढ़ाई नहीं कर सकते? ना तो स्कूल पर छत है, ना ही शौचालय, नहीं बाथरूम, ना ही पीने के लिए पानी की कोई सुविधा है? इस प्राइमरी स्कूल में 39 बच्चे अध्ययनरत है, जो सूखे दिनों में बाहर, और बारिश के समय किचन सेड में अपनी पढ़ाई करने को मजबूर है ?जब साला में मूलभूत सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं है, तो अन्य सुविधाओं की बात करना फिजूल है? लगभग 4 वर्षों से इस प्राइमरी स्कूल भारी अव्यवस्था में ही संचालित हो रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि, इस बारे में यहां की समस्या शासन प्रशासन सहित ,प्रदेश के शिक्षा मंत्री को भी समस्या से अवगत कराया गया, परंतु उसके बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया। प्राइमरी स्कूल के अलावा यहां पर ,एक मिडिल स्कूल भी है। जहां पर 3 कक्ष है। वहां पर मिडिल क्लास के बच्चे पढ़ते हैं ।यहां पर भी एक स्कूल एक परिसर के तहत, बने शौचालय में गंदगी पसरी है ।जल जीवन अभियान के तहत, स्कूली बच्चों के लिए, पीने के पानी का भी भारी अभाव पाया गया। ग्राम उभरिया के पूर्व सरपंच, तकीउल हसन रिजवी ने जानकारी में बताया कि, यह स्कूल सन उन्नीस सौ अस्सी के दशक में बना था ।जो अब अपना कार्यकाल पूरा कर जर्जर हो गया है। इसे पूरी तरह से तोड़कर, नया भवन बनाना चाहिए? भाजपा की विकास यात्रा के दौरान यहां पर आए ,सभी लोग को, स्कूल की समस्या बताई गई थी, उन्होंने आश्वासन के बाद भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया? बदहाल और जर्जर साला भवन में ही पढ़ने को मजबूर है नौनिहाल ? कोई बड़ा हादसा यहां पर हो जाए ,इससे पहले इस जर्जर भवन को तोड़कर, नया भवन बनाने की अति आवश्यकता है? स्कूल के बच्चों से पूछे जाने पर उन्होंने भी, स्कूल बदहाल होने की पुष्टि की है? चाहे जो भी हो, कोई स्कूल आज के समय में भी इतना बदहाल ,और सुविधाओं से वंचित हो सकता है ,,और स्कूल चले हम, अभियान की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती है? यह नजारा यहां पर ,अपनी आंखों से देखा जा सकता है?

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