कुशीनगर 24 घंटे में 12 बार बंद रहते हैं रेलवे फाटक

कुशीनगर 24 घंटे में 12 बार बंद रहते हैं रेलवे फाटक।
पडरौना। शहर मांग रहा ओवरब्रिज… बीच शहर से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज में बदले करीब 11 साल हो चुके हैं, लेकिन इसके ऊपर ओवरब्रिज नहीं बन सका है, जबकि शहर में पांच रेलवे ढाला हैं।ट्रेनों के आते ही सभी ढाले बंद हो जाते हैं और लोग जहां-तहां जाम में फंस जाते हैं। इस रूट से छह जोड़ी ट्रेनों का संचालन प्रतिदिन दिन होता है। ऐसे में रोज 12 बार रेलवे ढाला बंद होता है।
ट्रेन के आने से लगायत ठहराव और जाने तक ढाला बंद रहता है। उसके बाद जाम खत्म होने में आधा घंटे से अधिक समय लग जाता है। इस तरह हर दिन करीब छह घंटे लोगों को रेलवे क्राॅसिंग पर जाम से जूझना पड़ता है। व्यवसायियों, विद्यार्थियों और नौकरी पेशा लोगों को अपने गंतव्य तक जाने में विलंब होता है। वहीं दर्द से कहारते मरीज एंबुलेंस में फंसे रहते हैं। इन दिनों आग लगने की घटनाएं अधिक हो रही हैं। अग्निशमन दस्ते को अगर रेलवे क्राॅसिंग पार कर जाना पड़े और जाम में फंस गए तो परेशानी और बढ़ जाती है।जाम के चलते व्यवसायियों का व्यवसाय प्रभावित होता है। पडरौना शहर की सबसे बड़ी समस्या यहां ओवरब्रिज या अंडरपास न होना है। ट्रेनों के आने पर शहर दो हिस्सों में बंट जाता है। शहर में पांच रेलवे ढाले हैं। इनमें कोतवाली रोड स्थित मुख्य रेलवे ढाला, नौका टोला, नोनियापट्टी, बावली चौक और पांचवां साहबगंज मोहल्ला के पास है। चूंकि छह जोड़ी ट्रेनों का संचालन नियमित होता है। ऐसे में 24 घंटे में 12 बार रेलवे ढाले बंद और खुलते हैं। किसी-किसी दिन मालगाड़ी भी आती है, जिससे ढाला बंद होता है। शहर की लोगों की मांग है कि यहां ओवरब्रिज बनवाया जाए, तब जाकर बार-बार के जाम से छुटकारा मिलेगा। पडरौना स्टेशन से होकर गुजरने वालीं ट्रेनें
– सुबह 07: 01 बजे थावे से कप्तानगंज
– सुबह 10:15 पर सिवान से गोरखपुर
– दिन में 11:46 बजे थावे से गोरखपुर
– शाम को 07:56 बजे सिवान से गोरखपुर
– रात में 09:23 बजे पाटलीपुत्र से गोरखपुर
– रात में 11:13 बजे छपरा कचहरी से गोमतीनगर (लखनऊ) वापसी में गुजरने वालीं ट्रेनें
– सुबह 04:10 बजे गोमतीनगर से छपरा कचहरी
– सुबह 05:12 बजे गोरखपुर से पाटलीपुत्र
– सुबह 07:21 बजे गोरखपुर से सिवान
– सुबह 09:18 बजे कप्तानगंज से थावे
– दोपहर 02:03 बजे कप्तानगंज से थावे
– रात 09:24 पर बजे गोरखपुर से सिवानएक मात्र उपाय ओवरब्रिज
शहरवासियों को जाम से बचाने के लिए ओवरब्रिज ही एकमात्र उपाय है। नगर के बीच से गुजरी रेललाइन से ट्रेनों के गुजरने से जाम की समस्या खड़ी हो जाती है। जाम में फंसे लोगों को निकलने में काफी वक्त लगता है। लोगों का कहना है कि बिना ओवरब्रिज बने जाम की समस्या से निजात नहीं मिल सकती। जिला मुख्यालय होने की वजह से पडरौना नगर में दूरदराज के गांवों के लोगों का आना-जाना लगा रहता है। इसके चलते देर शाम तक यहां की सड़कों पर दो और चार पहिया वाहनों का दबाव बना रहता है। पड़ोसी प्रांत बिहार के सीमावर्ती जनपद होने की वजह से भी बिहार के सीमावर्ती गांवों के लोग खरीदारी और इलाज कराने के लिए यहां आते हैं। शहर के बीच से गुजरती है एनएच 28 बी पडरौना शहर के बीच से एनएच 28 बी गुजरती है। इसके अलावा पडरौना-जटहां मार्ग के रास्ते बिहार जाने का मुख्य मार्ग है। हल्के और भारी वाहन दिनभर आते-जाते हैं। इसलिए भी पडरौना नगर में ओवरब्रिज बनाने की जरूरत है। यदि ओवरब्रिज बन जाए तो हल्के और भारी वाहनों के आने जाने में सहूलियत रहेगी। लोगों को जाम की समस्या से निजात मिलेगी। यातायात निरीक्षक सत्य सान्यायल शर्मा बताते हैं कि जाम की समस्या न हो, इसके लिए पूरा प्रयास होता है। टेंपो, बस व टैक्सी स्टैंड, अनाज का गोदाम शहर से बाहर होना चाहिए। रेलवे क्राॅसिंग पर ओवरब्रिज होना चाहिए। बाईपास का चौड़ीकरण अथवा नगर से बाहर बाईपास की आवश्यकता है। लोगों को चाहिए कि सड़क के किनारे गाड़ियां खड़ी न करें और यातायात नियमों का पालन करें। मिनटों की दूर बदल जाती है घंटों में
जब शहर में एक ही साथ पांच रेलवे ढाले बंद होते हैं तो शहर दो हिस्सों में बंट जाता है। मुख्य रेलवे ढाला पर अधिक भीड़ होने से सुभाष चौक से तिलक चौक तक राहगीरों और वाहनों का जाम लग जाता है। इससे निकलने में लोगों को आधा से एक घंटे तक लग जाता है।10 दिन पूर्व तिलक चौक पर एक बाइक चालक अनियंत्रित होकर गिरकर चोटिल हो गया। उसे आननफानन जिला अस्पताल लेकर जा रहे थे। इसी बीच ट्रेन आने की वजह से मुख्य रेलवे ढाला बंद हो गया। इससे आधे घंटे जाम में फंसा रहा। घायल युवक राजेश दर्द से कराहता रहा।
विपुल विश्वकर्मा, शहरवासी
… पडरौना शहर में पांच रेलवे ढाले हैं। यहां प्रतिदिन जब ट्रेनें गुजरती हैं तो राहगीर धूप में परेशान रहते हैं। एंबुलेंस में मरीज दर्द से कराहता रहता है। ओवरब्रिज की मांग के लिए डीएम, सांसद और विधायक को कई बार पत्र दिया गया है।
पप्पू पांडेय, किसान नेता शहर की सबसे बड़ी समस्या ट्रेन आते ही सुभाष चौक तक जाम लग जाना है। किसी-किसी दिन ट्रेनों की यहां क्रॉसिंग भी होती है। ऐसे हालात में तो ढाला देर तक बंद रह जाता है। लोग धूप में परेशान रहते हैं।
राजेश, दरबार रोड जिले का नाम कुशीनगर है, लेकिन जनपद मुख्यालय का शहर डरौना है। यहां प्रतिदिन दस हजार से अधिक लोग आते हैं। मुख्य रेलवे ढाला पर जाम अधिक लगता है। उसके बाद बहुत से लोग नौका टोला ढाले के रास्ते निकलते हैं, लेकिन वहां भी जाम में फंस जाते हैं।
अशोक खेतान, व्यवसायी
नोट :- अन्य अपडेट लगातार पाने के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें| आप हमें ट्वीटर पर भी फॉलो कर सकते हैं| नवीनतम वीडियो न्यूज देखने के लिए हमें यूटूब (Youtube) पर सब्सक्राइब करें।


