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प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा

प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा

-डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी

कांग्रेस नेताओं द्वारा देश के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गाली देने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा बीती 20 फरवरी को जब अडानी स्टॉक विवाद मामले में मीडिया से बात कर रहे थे, तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के दिवंगत पिताजी को लेकर अपमानजनक बयान दिया। उन्होंने कहा, ‘ जब अटल बिहारी वाजपेयी जेपीसी का गठन कर सकते थे तो नरेंद्र ‘गौतम दास’ सॉरी दामोदरदास मोदी को क्या प्रॉब्लम है? ‘गौतम दास’ है या नरेंद्र ‘दामोदर दास’ है? नाम भले ही दामोदरदास है लेकिन काम गौतम दास का करते हैं।’

पवन खेड़ा के बयान के बाद उनके खिलाफ असम, यूपी में कई जगह एफआईआर हुई थी। गुरुवार को पवन खेड़ा जब अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ कांग्रेस के अधिवेशन में शामिल होने के लिए रायपुर जा रहे थे तो उन्हें दिल्ली एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा रोक लिया गया था। इसके बाद पवन खेड़ा के समर्थन में अन्य कांग्रेस नेता भी धरने पर बैठ गए थे। दरअसल असम पुलिस की अपील पर दिल्ली पुलिस ने पवन खेड़ा को रोका था और जब असम पुलिस दिल्ली पहुंची तो उसने दिल्ली पुलिस से पवन खेड़ा की कस्टडी ली। इस बीच कांग्रेस इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जहां से सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को राहत देते हुए उन्हें अंतरिम जमानत दे दी थी। अब 27 फरवरी को कोर्ट फिर से इस मामले की सुनवाई करेगी। उसम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि पवन खेड़ा ने अपने बयान को लेकर बिना शर्त माफी मांग ली है।

इस सारे घटनाक्रम में यह सवाल अहम है कि क्या यही हमारी राजनीतिक संस्कृति है? क्या ऐसे ही लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार पर हम गर्व से इतराते रहे हैं? क्या देश के निर्वाचित प्रधानमंत्री का कोई सम्मान और राष्ट्र की गरिमा कुछ मायने रखती है अथवा नहीं? कांग्रेस बार-बार ऐसी शर्मसार हरकतें क्यों करती है? क्या पार्टी के बिखराव, उसकी लगातार घटती स्वीकार्यता और चुनावी पराजय की कुंठाओं से पनपी विक्षिप्त मनरूस्थिति है, जो प्रधानमंत्री के लिए अभद्र शब्दों के इस्तेमाल को बाध्य करती रही है?

शिकायत और नाराजगी प्रधानमंत्री की सरकारी नीतियों और उनके फैसलों से हो सकती है, प्रधानमंत्री के दिवंगत पिता का अपमान करके कांग्रेस को क्या हासिल हो सकता है? कौन-सा मानसिक सुकून मिल सकता है? क्या देश की जनता यह सब कुछ नहीं देख रही, क्योंकि वह भी देश के प्रधानमंत्री के बार-बार अपमान से आहत होती है? प्रधानमंत्री तो कांग्रेस के लिए भी वही हैं, जो भारत देश का प्रथम लोकतांत्रिक और कार्यकारी चेहरा हैं। क्या ऐसे अभद्र और अपमानजनक शब्द बोलने वालों पर कांग्रेस के भीतर कोई आचार-संहिता, अनुशासन और नियंत्रण है अथवा वह भी ‘शून्य’ है?

सरोकार भारत की राष्ट्रीय छवि और प्रतिष्ठा का भी है। पार्टी का एक बौना-सा प्रवक्ता, प्रधानमंत्री के पिता के नाम पर, मजाक करने का दुस्साहस कैसे कर सकता है? क्या इस संदर्भ में कोई निश्चित विधान नहीं है? शायद यही लोकतंत्र होता है! कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक सार्वजनिक मंच पर प्रधानमंत्री का पूरा नाम इस तरह लिया-नरेंद्र गौतम दास मोदी।’ प्रधानमंत्री के पिता का नाम है-दामोदर दास। देश और राजनीति इससे बखूबी परिचित हैं। विवादास्पद उद्योगपति गौतम अडानी का नाम प्रधानमंत्री के साथ जोड़ कर, उनका उपहास उड़ाने की, विकृत पैरोडी बनाई गई। पवन खेड़ा ने यह जानबूझ कर कहा, क्योंकि उनके चेहरे के भाव से स्पष्ट था।

इन दिनों प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के करीबी संबंधों का राजनीतिक वृत्तांत बनाया जा रहा है, ताकि घपले और भ्रष्टाचार के सवाल प्रधानमंत्री पर भी उठाए जा सकें। मुद्दा और विमर्श कुछ भी हो सकते हैं, लेकिन हमारी घोर आपत्ति यह है कि प्रधानमंत्री के दिवंगत माता-पिता के नाम की विकृत पैरोडी क्यों बनाई जाए? दरअसल कांग्रेस में पवन खेड़ा तो बहुत जूनियर चेहरा हैं, लेकिन मणिशंकर अय्यर, जयराम रमेश, सुबोधकांत सहाय, रेणुका चैधरी, शशि थरूर, प्रमोद तिवारी, गुलाम नबी आजाद (तब कांग्रेस में) और संजय निरूपम आदि से लेकर कांग्रेस अध्यक्ष रहे सोनिया और राहुल गांधी सरीखे वरिष्ठ नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी के लिए गालीनुमा शब्दों का इस्तेमाल किया है।

मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने गुजरात चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री को ‘रावण’ करार दिया था। ऐसे मुद्दों पर कांग्रेस के छुटभैया प्रवक्ता दलीलें देने लगते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी ने भी गांधी-नेहरू परिवार के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग किया था और अब भी करते रहते हैं। यह आरोप अर्द्धसत्य भरा है। कुछ तंज प्रधानमंत्री कसते रहते हैं, लेकिन उन्होंने अभिधा शब्द-शक्ति में प्रत्यक्ष रूप से किसी को भी गाली नहीं दी। हम मानते हैं कि प्रधानमंत्री को भी कुछ संयम बरतना चाहिए, लेकिन सवाल है कि क्या कांग्रेस प्रतिशोध की राजनीति करना चाहती है?

2017 में वापस, कांग्रेस के दिग्गज नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच आदमी कहा था, एक टिप्पणी उन्होंने 2019 के चुनावों से पहले दोहराई थी। उस वक्त भारत की जनता ने पीएम मोदी को ऐतिहासिक फैसला सुनाकर अय्यर को करारा जवाब दिया था। बीते साल गुजरात विधानसभा चुनाव के समय आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल इटालिया ने भी पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने का वीडियो खूब वायरल हुआ था। जनवरी 2023 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के कांग्रेस नेता राजा पटेरिया को उनकी कथित टिप्पणी के मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया। पटेरिया ने कथित रूप से अपनी टिप्पणी में लोगों से संविधान और अल्पसंख्यकों और दलितों के भविष्य को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘मारने’ के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।

न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक नेता से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसे उच्च स्थान के नेताओं की छवि को खराब करने वाली और समाज में आतंक पैदा करने वाली अभद्र भाषा का उपयोग करे। जस्टिस संजय द्विवेदी की पीठ ने यह भी कहा कि नेता को अपने भाषण के दौरान शब्दों का प्रयोग करने में सतर्क रहना चाहिए, जो उनके फॉलोअर्स/दर्शकों के दिमाग को विचलित कर सकता है। अदालत ने टिप्पणी की, ‘अक्सर, यह देखा गया है कि परिणाम की परवाह किए बिना फॉलोअर्स में लोकप्रियता की तलाश करते हुए बयान देना कुछ सार्वजनिक नेताओं का फैशन बन गया है। यह प्रथा न केवल समाज में सार्वजनिक नेताओं की छवि को धूमिल कर रही है बल्कि राजनीति में आपराधिकता में वृद्धि का एक कारण भी बन रही है।’

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जिस तरह मजाकिया अंदाज में प्रधानमंत्री मोदी के पिताजी दामोदरदास मोदी का नाम लिया, वो कांग्रेस की निचले स्तर की मानसिकता को दर्शाता है। दरअसल कांग्रेस के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूलकिट का एक के बाद एक पर्दाफाश हो रहा है, इससे कांग्रेसी पूरी तरह हताश और निराश है। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका है। इसलिए उनकी जुबान भी लड़खड़ाने लगी है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस संवैधानिक पद पर बैठे किसी भी शख्स के माता-पिता का अपमान कभी नहीं किया, यह हम अपने अनुभव के आधार पर दावा कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने तो प्रधानमंत्री की मौत के प्रकार तक गिना दिए कि कैसे उनको मारा जा सकता है! एक नेता ने तो ‘बोटी-बोटी’ कर देने तक का सार्वजनिक बयान दिया है। वह नेता अब कांग्रेस के बाहर हो चुका है। सवाल यह भी है कि क्या एक बार फिर कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री के संदर्भ में ऐसी अपमानजनक पैरोडी बनाकर ‘सेल्फ गोल’ कर लिया है।
-चिकित्सक एवं लेखक

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