विपक्ष आरोप लगाए, और उसे साबित भी करे -डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी

भारत जोड़ो यात्रा से उत्साहित कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड के सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए। राहुल के संसद के निचले सदन में बोलने के बाद से दोनों तरफ से टीका-टिप्पणी का दौर चल रहा है। राहुल के लोकसभा में बोलने के बाद अगले दिन राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस समेत विपक्ष पर कड़े प्रहार किये। लोकसभा के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में भी बोलते हुए विपक्ष की जमकर खिंचाई की, और उन्हें आईना दिखाने का काम किया। लेकिन यहां बात हो रही है, राहुल गांधी के पीएम मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी की मिलीभगत पर लगाए गए आरोपों की।
दरअसल राहुल अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के संस्मरण सुना रहे थे, लेकिन अडानी पर आकर अटक गए। उन्होंने कहा कि दक्षिण से उत्तर तक लोग जानना चाहते हैं कि देश भर में अडानी का शोर क्यों मचा है? अडानी ही सभी तरह के कारोबारों में सफल क्यों हैं? दरअसल राहुल गांधी की राजनीति थी कि प्रधानमंत्री और अडानी के साथ उनके आरोपिया रिश्तों को संसद के रिकॉर्ड में दर्ज कराया जाए, लिहाजा उन्होंने सवाल इस अंदाज में उठाए मानो प्रधानमंत्री और अडानी के बीच कोई ‘भ्रष्ट मिलीभगत’ है! कोई नापाक हित साधे जा रहे हैं!
राहुल गांधी ने सिक्के के दूसरे पहलू को छिपा लिया। शायद उन्हें यह जानकारी नहीं होगी कि अडानी का कॉरपोरेट करियर तब शुरू हुआ था, जब राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। उनकी सरकार ने ‘एक्जिम पॉलिसी’ की शुरुआत की थी। उसके बाद कांग्रेस की ही पीवी नरसिंह राव सरकार के दौरान, आर्थिक सुधारों के बाद, अडानी ने अपने ‘निर्यात हाउस’ की स्थापना की थी। कांग्रेस नेतृत्व की यूपीए सरकार के दौरान, प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में, अडानी समूह को इंडोनेशिया में कोयला खदान और रेलवे के ठेके मिले थे। वे अडानी समूह के सर्वप्रथम विदेशी ठेके थे। क्या उनमें भी कोई ‘भ्रष्ट सांठगांठ’ थी?
राहुल का सवाल था कि जो उद्योगपति 2014 तक अमीरों की सूची में 609वें स्थान पर था, तो ऐसा क्या जादू हो गया कि वह 2022 में दूसरे स्थान तक पहुंच गया? आखिर 8 अरब डॉलर की संपदा करीब 144 अरब डॉलर तक कैसे उछल गई? अनुभव के बिना ही अडानी समूह की कंपनी को 6 मुनाफेदार हवाई अड्डों का ठेका कैसे मिला? सरकार ने नियमों में संशोधन क्यों किया? अडानी की कंपनियों को रक्षा संबंधी अनुबंध क्यों दिए गए?
बांग्लादेश में 1500 मेगावाट बिजली उत्पादन, ऑस्टे्रलिया में कोयला खदान, श्रीलंका में पवन ऊर्जा और इजरायल में सैन्य-सामरिक संबंधी ठेके अडानी को ही क्यों मिले? क्या प्रधानमंत्री मोदी ने विदेशी सरकारों से सिफारिश की अथवा दबाव बनाए? अडानी समूह पर जिन फर्जी कंपनियों के आरोप हैं, राहुल जानना चाहते हैं कि लेन-देन का पैसा किसका है?
सार्वजनिक जीवन में कोई भी किसी के साथ फोटो खिंचवा सकता है। इसका मतलब यह नहीं है कि उसके साथ किसी व्यक्ति के निजी संबंध हों। ऐसे तो राहुल गांधी, सोनिया गांधी, उनके परिवार के सदस्यों, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जैसे अशोक गहलोत के साथ भी कई बड़े व्यापारियों के चित्र हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि वह भी उनके साथ जुड़े हैं। झूठे आरोप लगाना और फिर भाग जाना राहुल गांधी की आदत रही है। दरअसल राहुल गांधी ने लोकसभा में देश के प्रधानमंत्री पर ऐसे ‘दागदार’ सवाल कर सनसनी तो फैला दी है, लेकिन उनके आरोप ‘अर्द्धसत्य’ हैं, क्योंकि ये तमाम आरोप सार्वजनिक तथ्य हैं। दुनिया इन ठेकों के बारे में जानती है।
पूरा देश जानता है कि यूपीए सरकार के दौरान 1.86 लाख करोड़ का कोयला घोटाला हुआ। लगभग 70,000 करोड़ का कॉमनवेल्थ घोटाला हुआ। सेना के लिए आरक्षित जमीन में आदर्श सोसायटी घोटाला हुआ, अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला हुआ और सबमरीन घोटाला हुआ। कांग्रेस की वह सरकार ही घोटाले वाली सरकार थी। बोफोर्स घोटाले को कौन भूल सकता है। जयराम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बोलती नहीं, बल्कि काम करती है। गत आठ साल में नरेंद्र मोदी सरकार ने लगभग 25 लाख करोड़ डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से विभिन्न योजनाओं की राशि बिना किसी बिचैलिये के सीधे लाभार्थियों के खाते में हस्तांतरित की है। घोटालों से भी बड़ा सवाल यह है कि अगर राहुल गांधी पीएम मोदी पर अडानी से मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं तो वो इनकी सच्चाई भी साबित करें। केवल आरोप लगाकर किसी की छवि खराब करना या देशवासियों को झूठी सूचनाएं देकर अव्यवस्था फैलाने को उचित नहीं कहा जा सकता।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री रवि शंकर प्रसाद ने राहुल गांधी के लोकसभा में उद्बोधन पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘राहुल गांधी ने संसद में जो कुछ कहा है, वह झूठ का पुलिंदा है। झूठे आरोप लगाना और फिर भाग जाना राहुल गांधी की आदत रही है। राहुल गांधी झूठ तो इतना बोलते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में भी झूठ बोल देते हैं और बाद में उन्हें सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ती है।’’ हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राहुल गांधी की ओर से सदन में अनर्गल और झूठे प्रलाप पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस के भ्रष्टाचार की परत दर परत खोलते हुए राहुल गांधी के वक्तव्य को झूठ का पुलिंदा बताया। दोनों ओर से आरोपों प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है। इस मामले में जमकर राजनीति भी हो रही है। सदन में राहुल गांधी ने जो भाषण दिया, उसके कुछ अंशों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया. बीजेपी सांसदों ने राहुल गांधी के भाषण का विरोध किया था. राहुल के भाषण के अंशों को कार्यवाही से हटाए जाने पर कांग्रेस पार्टी ने कहा कि सदन में लोकतंत्र को खत्म करने का काम किया गया।
देश के विकास में उद्योगपतियों के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता है। केंद्र और राज्यों में चाहे किसी भी दल की सरकार हो उद्योगपति अपना काम करते रहते हैं। आजादी के बाद से सरकारी क्षेत्र के साथ प्राईवेट क्षेत्र ने देश की प्रगति में बराबर का सहयोग किया है। प्रत्येक दल की सरकार अपने कार्यकाल में देश में हुई प्रगति के आंकड़ें बड़ी शान से गिनाता है। ऐसे में किसी उद्योगपति पर जो दुनिया में भारत का झंडा बुलंद कर रहा है, उस पर एक विदेश कंपनी, जिसकी छवि ठीक नहीं, के आधार पर अपने देश के उद्योगपति पर उंगली उठाना कदापि उचित ठहराया नहीं जा सकता। देश के 22 राज्यों में अडानी समूह की कंपनियों ने लाखों करोड़ रुपए के निवेश कर रखे हैं। उनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्रप्रदेश आदि राज्य प्रमुख हैं। कांग्रेस-शासित राज्य भी हैं। कांग्रेस की भी गांधी-नेहरू के कालखंड से परम्परा रही है कि उन्होंने उद्योगपतियों से चंदे लिए थे और संसद में भी भेजते रहे हैं।
गौतम अडानी की कंपनी ने अगर गड़बड़ी की है तो उसके लिए देश में तमाम सक्षम वित्तीय संस्थान हैं, जो जांच पड़ताल में समर्थ है। हमें अपनी संस्थाओं और उद्योगपतियों पर विश्वास करना चाहिए। अगर कोई कानून विरूद्व काम कर रहा हो तो उसे उचित सजा भी मिलनी चाहिए। लेकिन सत्ता की प्राप्ति की चाहत में देश के प्रधानमंत्री की छवि खराब करने और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने की नीयत से आरोप लगाना ठीक नहीं है। विपक्ष आम आदमी के मुद्दे उठाए और सरकार को उसकी कमियों के प्रति सचेत करे।
-चिकित्सक एवं लेखक
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