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पराली जलाने से निजात: फार्मवाट इनोवेशन ने कौशांबी में दिखाया राह, एसडीएम और सीओ ने दिए प्रेरक संदेश

राकेश कुमार सिंह।नेवादा।कौशाम्बी।
कौशाम्बी-: पराली जलाने की समस्या से जूझते किसानों और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए फार्मवाट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड ने कौशांबी के बसुहार गांव में एक अनूठी कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में किसानों और छात्रों को पराली प्रबंधन के आधुनिक और टिकाऊ तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यशाला में चायल के उपजिलाधिकारी योगेश कुमार गौड़ और क्षेत्राधिकारी मनोज कुमार रघुवंशी ने खास तौर पर भाग लिया और अपने सारगर्भित विचारों से सभी को प्रेरित किया।

पराली जलाने का विकल्प: एसडीएम की सीख

कार्यशाला में एसडीएम योगेश कुमार गौड़ ने किसानों से पराली जलाने से बचने की अपील की। उन्होंने कहा, “पराली जलाने की वजह से पर्यावरण में प्रदूषण तो बढ़ता ही है, साथ ही मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी खत्म हो जाती है। यह समस्या सिर्फ गांवों तक सीमित नहीं है, बल्कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। अब समय आ गया है कि हम परंपरागत तरीकों से आगे बढ़कर ऐसी तकनीकों को अपनाएं, जो किसानों के लिए फायदेमंद हों और पर्यावरण को नुकसान भी न पहुंचाएं।”

एसडीएम ने किसानों को आश्वासन दिया कि प्रशासन हर संभव मदद के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि फार्मवाट इनोवेशन जैसी कंपनियों के प्रयास किसानों को न केवल पराली के बेहतर उपयोग का विकल्प दे रहे हैं, बल्कि उनकी आमदनी बढ़ाने में भी सहायक साबित हो रहे हैं।

सीओ ने किया कड़े कानूनों का जिक्र

पराली जलाने को कानूनी अपराध बताते हुए सीओ मनोज कुमार रघुवंशी ने कहा, “पराली जलाना कानूनन अपराध है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। हालांकि हमारा उद्देश्य किसानों को दंडित करना नहीं, बल्कि उन्हें जागरूक करना है। पराली को संसाधन के रूप में अपनाकर किसान अपनी आय बढ़ा सकते हैं और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते हैं।” उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन लगातार ऐसे प्रयास कर रहा है, जिससे किसानों को पराली प्रबंधन के नए और बेहतर तरीके सिखाए जा सकें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “पराली जलाने से होने वाले नुकसान को रोकना हम सभी की जिम्मेदारी है।”

फार्मवाट की पहल: नीलेंदु का विजन

फार्मवाट इनोवेशन के निदेशक नीलेंदु ने कार्यशाला में किसानों को बताया कि उनकी कंपनी कृषि अवशेष को नवीकरणीय ऊर्जा में बदलने के क्षेत्र में अग्रणी है। उन्होंने पराली के संग्रहण और प्रसंस्करण में उपयोग होने वाली अत्याधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया। इसमें ट्रैक्टर, बैलर, स्लैशर, रेकर और ड्रोन जैसी तकनीकें शामिल हैं, जो पराली को कुशलतापूर्वक इकट्ठा करने और बायोगैस संयंत्रों तक पहुंचाने में मदद करती हैं। नीलेंदु ने कहा, “पराली जलाना न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह किसानों के लिए एक संभावित आय का स्रोत भी खत्म कर देता है। हमारी कंपनी इन अवशेषों को इकट्ठा कर उन्हें बायो-सीएनजी और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में परिवर्तित करने का काम करती है। इससे किसानों को आय भी मिलती है और पर्यावरण को भी फायदा होता है।”

पर्यावरण संरक्षण की ओर कदम

कार्यशाला में छात्रों और किसानों को इस बात की भी जानकारी दी गई कि पराली जलाने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए कैसे सामूहिक प्रयास किए जा सकते हैं। फार्मवाट ने अपने उन्नत उपकरणों और तकनीकों का लाइव प्रदर्शन किया, जिसने किसानों को पराली प्रबंधन के आधुनिक तरीकों को समझने में मदद की। कार्यक्रम का समापन एक संवाद सत्र के साथ हुआ, जिसमें किसानों और छात्रों ने अपने सवाल पूछे और विशेषज्ञों से समाधान प्राप्त किए। सभी ने पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि की दिशा में योगदान देने का संकल्प लिया।

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