
संवाददाता । पंकज कुमार
वाराणसी । प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल सांसद आदर्श गांव योजना के तहत गोद लिए गए चिरईगांव विकास खंड के ग्राम सभा सीवों गांव बरसात में बन जाती है झील,पानी निकासी न होने से ग्रामीण परेशान जलजमाव की स्थिति पर ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या इस साल ही उत्पन्न हुई है। पिछले साल तक लोगों का घर गांव में ही था। जल निकासी का इंतजाम ठीक-ठाक था।
सरकार ग्रामीण इलाकों में विकास का जितना भी दावा कर ले, लेकिन ऐसा लगता है कि विकास सीमांचल के इन इलाकों से अभी भी कोसों दूर है। गांव में मॉनसून की पहली बारिश ने ही विकास के दांवों की पोल खोल दी है। बारिश के पानी की निकासी नहीं होने से गांव में जलजमाव हो गया है। सड़क पर पूरी तरह से पानी फैल गया है। ग्रामीणों की मानें, तो अगले तीन चार महीने यहां के लोगों को इसी जलजमाव के बीच अपना जीवन गुजारना होगा। अगर यही हालात रहे तो लोगों को डर है कि गांव में महामारी फैल सकती है।ग्रामीणों का कहना है कि अभी बरसात का पूरा सीज़न बाकी ही है। अभी से ही जलजमाव की यह स्थिति है, पता नहीं आगे क्या होगा। अगर बारिश के पानी की निकासी का कोई इंतजाम प्रशासन नहीं करेगा तो अगले चार माह ऐसे ही जलजमाव रहेगा। पानी आंगन तक में घुस गया है। यहां के लोगों के लिए जलजमाव ही समस्या नहीं है, बल्कि उसमें मौजूद गंदगी से बीमारी फैलने का डर लोगों को सता रहा है। क्षेत्र के दर्जनों गांव के जल निकासी का एकमात्र साधन सरकारी बाहा है लेकिन इस पर बाहा के अगल बगल के किसान और कालोनाइजर बाहा पर अवैध कब्जा कर पाट दिए हैं जिसका खामियाजा क्षेत्र के दर्जनों गांवों को भुगतना पड़ रहा है जब तक प्रशासन नहीं चाहेगा, तब तक इस समस्या से गांव के लोगों को निजात नहीं मिलेगी। अभी भी बता दें कि गांव में खाना बनाने के लिए अधिकतर मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग होता है। लगातार बारिश होने से लोगों के चूल्हा घर तक में पानी घुस गया है। महिलाएं खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे के बजाय गैस का इस्तेमाल कर रही हैं। चूल्हा घर में पानी न घुसे इसके लिए हर साल मिट्टी भराई करना पड़ता है। लेकिन बारिश होते ही नई मिट्टी बह कर चली जाती है, जिससे स्थिति जस की तस बनी रहती है।
छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाने के लिए भी इन्हीं रास्तों से जाना पड़ता है सड़क पर पानी होने की वजह से हर दिन उसे जूता और मोजा उतारना पड़ता है। पानी पार करने के बाद फिर जूता और मोजा पहनता है। छोटे-छोटे बच्चे , बुजुर्ग महिलाओं को आने जाने के लिए अपनी जान हथेली पर रखकर कुंआ, तालाब, पोखरा के मेढ पर से किसी तरह आना जाना पड़ रहा है जो कि अप्रिय घटनाओं को बुलावा दे रहा है जबकि इस समस्या के बारे में मुख्यमंत्री IGRS पर भी दर्ज कराया गया था और राजस्व विभाग के साथ साथ शासन प्रशासन को भी अवगत कराया गया समाचार पत्र में भी समस्या प्रकाशित हुआ था इसके बावजूद भी दर्जनों गांवों के जल निकासी का एक मात्र साधन सरकारी बाहा था वो भी पाट दिया गया है जिससे गांव के लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है क्योंकि इस गंभीर समस्या पर किसी भी शासन प्रशासन के अधिकारी महोदय का ध्यान ही नहीं जा रहा है। यदि क्षेत्र में महामारी जैसी बीमारी फैल गई या किसी प्रकार का अप्रिय घटनाएं हो जाता है तो इसका कौन जिम्मेदार होगा।
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