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दिल बचपन का उम्र पचपन की, खानी पड़ गई गोली

फर्रूखाबाद। मास्साब प्रधानाध्यापक बने-बने ऊब चुके थे तो अपनी न्याय पंचायत में विद्यालयों का शैक्षिक स्तर सुधारने का बहाना लेकर कार्यालय में विश्राम करने की जिम्मेदारी उठा ली, फिर क्या था? उम्र वेशक पचपन की थी मगर दिल अभी भी बचपन वाला ही था। विद्यालय निरीक्षण के बहाने अपने ही मित्र(साथी) की प्रधानाध्यापिका पत्नी से दिल्लगी शुरू कर दी। प्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापिका का इश्क परवान चढ़ा तो मित्र(साथी) की ग्रहस्थी में उठा पटक शुरू हो गई। यहां तक कि कलह थाने तक पहुंचने लगी थी। कलह के आक्रोश का पानी सिर से गुजरने लगा तो प्रधानाध्यापिका के पति ने इश्क के देवता पचपन वाले मास्साब के इलाज की ठान ली।
खूबसूरत हसीना का भेष बनाया, मुंह पर स्कार्फ बांधा और बीएसए कार्यालय के कमरे में एकांत में बैठे इश्क के देवता को एक गोली खिला दी। लाख चालाकी करने के बावजूद भी साथी जेल पहुंच गया और मास्साब दिल फेंककर अस्पताल पहुंचे। बीएसए कार्यालय में हुई घटना का खौफ इतना कि कार्यालय में अब मुंह छिपाकर जाने से रोक लगा दी गई क्योंकि बचपन दिल वाले कई मास्साब अभी और भी हैं।

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