
तहसील संवाददाता सूरज प्रसाद गुप्ता
दर्जनों घरों पर समा जाने का खतरा, दहशत में लोगसिद्धार्थनगर में राप्ती का जल स्तर बाढ़ के बाद काफी कम हो गया है। पिछले दो दिनों से हो रही रुक रुककर बारिश के साथ ही राप्ती का कटान जारी है। भनवापुर ब्लाक क्षेत्र के पिकौरा गांव के पास से होकर जाने वाली राप्ती के किनारे बसे करीब आधा दर्जन लोगों के घरों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, जिससे लोग दहशत में है। वहीं राप्ती के कलरव की आवाज सुन रतजगी करने पर विवश हैं।पिकौरा गांव के शिव प्रसाद ने बताया कि हमारे घर के करीब दो फीट की दूरी से होकर राप्ती बह रही है। घर के थोड़ी दूर पर कटान रोकने के लिए ठोकर बना कर बोरा लगाया गया है। ठोकर से टकराकर राप्ती का कटान हमारे घर के दीवार के पास तेजी से हो रहा है, जिससे रातों में नीद नहीं आती है।घरों का अस्तित्व खतरे में पिकौरा के मनोहर ने बताया कि हमारे भी घर के दो से तीन फीट दूरी से होकर राप्ती बह रही है। गर्मी के समय कटान रोकने के लिए बन रहे ठोकर व लग रहे बालू भरे बोरे को घर के पास लगाने के लिए ठेकेदार से बोला था, मगर ठेकेदार ने अपनी मनमानी से बालू भरे बोरे को लगा कर चले गए अब घर के पास हो रहे कटान से गांव के सनोहर, गंगा केशर, प्रहलाद, देवी लाल आदि के घरों के अस्तित्व पर खतरा मड़राता दिख रहा है।कहीं और जमीन होती तो छोड़ देता घर
कहा कि हम लोग भूमि हीन हैं। राप्ती के किनारे बने घर के अलाव कोई जमीन नहीं है। अगर गांव में कोई और जमीन होती तो राप्ती के खतरों से नहीं खेलता। पिकौरा गांव के शिव प्रसाद, सनोहर, गंगा केशर, मनोहर, प्रहलाद, देवी लाल ने बताया इन लोगों ने कहा कि अगर गांव में कहीं सरकारी जमीन है तो उसे चिन्हित कर हम लोगों को बसा दिया जाए, जहां परिवार के साथ अपना सुरक्षित जीवन यापन कर सके
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