उत्तर प्रदेशबांदा

महिलाओं के लिए विधिक जागरूकता शिविर कार्यक्रम का किया गया आयोजन

(रिपोर्ट नंदू राम चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ बांदा)

माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण – नई दिल्ली एवं उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के आदेशानुसार राष्ट्रीय महिला आयोग, नई दिल्ली के सहयोग से माननीया जनपद न्यायाधीश / अध्यक्षा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा श्रीमती कमलेश कच्छल के दिशा-निर्देशन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा आज दिनांक 18.07.2023 को महिलाओं के हित सरंक्षण व उनके अधिकारों के सम्बंध में विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन तहसील बबेरू जिला बांदा में दोपहर 01:30 बजे से किया गया। शिविर की अध्यक्षता श्रीमती अन्जू काम्बोज, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा की गयी।

 

श्रीमती अन्जू काम्बोज, अपर जिला जज / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा अपने सम्बोधन में महिलाओं को समान पारिश्रमिक अधिनियम-1976 के अन्तर्गत महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन दिये जाने एवं कार्यक्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेद-भाव को समाप्त करने की जानकारी प्रदान की। सचिव महोदया द्वारा मातृत्व लाभ अधि0 – 1961 पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि इन्दिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना भारत सरकार द्वारा संचालित मातृत्व लाभ कार्यक्रम वर्ष 2010 में पेश किया गया व महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा लागू किया गया था। मातृत्व लाभ अधिनियम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस अधिनियम के अन्तर्गत बच्चे के जन्म के पहले और बाद में एक निश्चित अवधि के लिये महिलाओं को मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाता है। इसके अतिरिक्त फैक्ट्री अधिनियम-1948 के उद्देश्यों एवं महिलाओं को प्राप्त निःशुल्क कानूनी अधिकारों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गयी तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के विषय में बताया गया।

 

डा० कंचन सिंह, रिसोर्स परसन, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बबेरु द्वारा अपने सम्बोधन में गर्भ के चिकित्सीय समापन अधि0 – 1971 के अन्तर्गत बताया गया कि महिलाएं कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकारी अस्पताल या सरकार की ओर से प्राधिकृत किसी भी चिकित्सा केन्द्र में अधिकृत व प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा गर्भपात करा सकती है किन्तु लिंग भेद के आधार पर गर्भपात कराया जाना दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आता है जिसमें लिंग की पहचान करने वाला चिकित्सक तथा लिंग की पहचान करवाने वाला दोनो ही दण्ड के भागीदार होगें। साथ ही गर्भधारणपूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध अधि- 1994) के अन्तर्गत गर्भाधारण पूर्व या बाद लिंग चयन और जन्म से पहले कन्या भ्रूण हत्या के लिए लिंग परीक्षण कराना, इसके लिये सहयोग देना व विज्ञापन करना कानूनी अपराध है जिसमें 03 05 वर्ष तक की जेल व दस हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में होने वाली खून की कमी के कारण मृत्यु की सम्भावना अधिकतम होती है जिसका कारण कम आयु में बालिकाओं का विवाह होना एवं कुपोषित होना पाया जाता है। इसके अतिरिक्त सर्वाइकल कैंसर के विषय में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी।

श्री हनीफ खॉन, पैनल अधिवक्ता, बबेरु द्वारा अपने सम्बोधन में महिलाओं को मिलने वाले अधिकारों में धारा-125 सीआरपीसी० के अन्तर्गत भरण-पोषण एवं घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के सरंक्षण के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी । श्रीमती सुमन शुक्ला, महिला पराविधिक स्वयं सेवक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा द्वारा बताया कि महिलाओं से सम्बन्धित विभिन्न सरकारी योजनाओं के बल पर एवं स्वयं सहायता समूह के द्वारा महिलाएं आत्मनिर्भर होकर सशक्त हो सकती है। श्री अभिनव तिवारी, प्रभारी तहसीलदार बबेरु द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा महिलाओं के कल्याण हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं तथा एमरजेन्सी हेल्प लाइन नम्बर्स के बारे में जानकारी प्रदान की गयी । शिविर का संचालन श्री छेदीलाल पटेल, ए.डी.ओ. ए.जी. कृषि विभाग द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बांदा से वरिष्ठ लिपिक श्रीमती कविता अग्रहरि, श्री राशिद अहमद – डी.ई.ओ., श्री अखिलेश द्विवेदी, श्री बुद्धराज पराविधिक स्वयं सेवक व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशाबहुए तथा अन्य श्रोतागण उपस्थित रहें। –

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