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चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां कालिका धाम मंदिर में लगा भारी संख्या में भक्तों का जनसैलाब।

अमेठी संग्रामपुर – चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व पर मां कालिका धाम संग्रामपुर में स्थित अमृत कुंड वासनी मां कालिका धाम में लगी भारी भक्तों की भीड़ लगे माता के जयकारे लाखों लोगों का आस्था का केंद्र है देवी कालिकन धाम स्थानीय लोगों के साथ ही अन्य जिलों के श्रद्धालु भी दर्शन और मनोकामना पूर्ति के लिए यहां पहुंचते हैं बीते सालों में नवरात्र के आरती के समय काफी भीड़ होती है कालिकन धाम का वर्णन भगवत पुराण में मिलता है मां कालिकन धाम में हर सोमवार मेला लगता है पौराणिक मान्यता के मुताबिक सरयू व गंगा नदी के मध्य में स्थित कालिकन धाम महर्षि च्यवन ऋषि की तपोस्थली हुआ करता था पुरातन काल में यहां आनंदवन नामक घना व वीरान जंगल था उसी जंगल में महर्षि च्यवन का आश्रम था जनश्रुति है की महर्षि च्यवन ने सोम यज्ञ कराया तो यहां अमृत कुंड उत्पन्न हो गया जिससे देवता चिंतित हो गए अमृत कुंड के रक्षार्थ देवताओं ने शक्ति की आराधना की तो तो देवी मां प्रसन्न हुई और अमृत कुंड की रक्षा के लिए सहर्ष तैयार हो गई और अमृत कुंड पर ही महर्षि च्यवन ने देवी मां की स्थापना की मंदिर में जुड़े कई रोचक तथ्य आज भी लोगों को सुनने को मिलते हैं कहा जाता है कि अमेठी के राजा लाल माधव सिंह को स्वप्न में मां ने दर्शन देकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराने को कहा था मंदिर के पुजारी श्री महाराज के अनुसार यहां पर स्थित सगरा ईसा पूर्व में बारा तलिया के नाम से जाना जाता था इसमें देव वैद्य अश्विनी कुमार ने औषधियों का घोल बनाया था इसी बारा तलिया में स्नान करने के बाद महर्षि च्यवन को युवावस्था प्राप्त हुई थी बताया जाता है कि बारा तलिया की खोज करते महान शासक सिकंदर भी आ पहुंचे थे उनके पहुंचने पर यह स्थान अचानक गगनभेदी तीव्र गड़गड़ाहट के साथ हिलने लगा था भयभीत होकर सिकंदर अपनी सेना लेकर लौट गया और बारा तलिया लुप्त हो गया वर्ष 1958 में अमेठी के राजा रणवीर सिंह ने बारा तलिया की खोज के लिए विद्यानो व पंडितों से विधि पूछ कर खुदाई शुरू करवाई जिसमें सांप बिच्छू वा विषैले जीव जंतु भारी संख्या में निकलने लगे कहा जाता है कि उसी रात राजा रणवीर सिंह को स्वप्न में दर्शन देकर महर्षि च्यवन ने उस स्थान की खुदाई बंद करने को कहा स्वप्न से प्रेरित होकर राजा ने इस स्थान पर महर्षि च्यवन का मंदिर बनवा दिया यहां पर महर्षि के नाम का शिलालेख भी मिला था मंदिर के दक्षिण तरफ एक बड़े सगरे का निर्माण 1968 में स्थानीय लोगों ने कराया था।

विवेक सिंह डिस्ट्रिक्ट इंचार्ज अमेठी

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